Spinal Cord Injury रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइनल कॉर्ड नसों (नव्र्स) का वह समूह होता है, जो दिमाग का संदेश शरीर के अन्य अंगों तक पहुंचाता है। ऐसे में यदि स्पाइनल कॉर्ड में किसी भी प्रकार की चोट लग जाए या फिर किसी भी कारण से स्पाइनल कॉर्ड में कोई समस्या हो जाए, तो यह पूरे शरीर के लिए बेहद घातक अवस्था मानी जाती है। जानें क्या कहते है दिल्ली के स्पाइन सर्जन डॉ. सुदीप जैन।
दो तरह के फ्रैक्चर : दुर्घटनाओं में आमतौर पर दो तरह के स्पाइनल(रीढ़ की हड्डी से संबंधित) फ्रैक्चर होते हैं। पहला सामान्य फ्रैक्चर, जिसमें अनस्टेबल फ्रैक्चर और फ्रैक्चर डिसलोकेशन को शामिल किया जाता है। वहीं दूसरे प्रकार के फ्रैक्चर में स्पाइनल कॉर्ड इंजरी को शामिल किया जाता है।
स्पाइनल कॉर्ड की चोट के कई प्रकार होते है। पहला नसों में हल्की चोट और दूसरा नस का फटना। स्पाइनल कॉर्ड में चोट लगने की वजह से दुनिया में अनेक युवा और बच्चे किसी न किसी विकार, दिव्यांगता या मौत का शिकार हो जाते हैं। स्पाइनल इंजरी के 80 प्रतिशत मामले युवाओं में देखने को मिलते है वहीं ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित बुजुर्ग व्यक्तियों में स्पाइनल फ्रैक्चर की संभावना अधिक रहती है।
कैसे होती है स्पाइनल इंजरी : गर्दन व स्पाइनल कॉर्ड के मुड़ जाने से अक्सर स्पाइनल कॉर्ड इंजरी हो जाती है। जैसे किसी स्थान से गिरने पर, सड़क दुर्घटना, खेलते समय चोट लगना, ड्राइविंग करने से, घुड़सवारी करते समय गिर जाने से या गोली लगने से इस तरह की समस्या उत्पन्न हो जाती है।